क्या आप भी Jagannath Temple, Puri के बारे में जानकारी ढूंढ रहे हैं? क्या आप पुराने पुराने मंदिरों के बारे में जानकारी एकत्र करते हैं या फिर पुराने पुराने मंदिरों के बारे में जानने की इच्छा रखते हैं? तो आप इस वक्त बिल्कुल ही सही जगह पर है। आज के इस आर्टिकल की माध्यम से हम आपको जगन्नाथ मंदिर के बारे में पूरी जानकारी देंगे। जैसे कि जगन्नाथ मंदिर कहां है, इसकी स्थापना कब हुई थी और किसने कराई थी, इस मंदिर का ढांचा कैसा है, जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी क्या कथा है?
अगर आप ऊपर दिए गए सभी प्रश्नों का हल चाहते हैं तो आपको हमारा यह आर्टिकल अंत तक पढ़ना होगा तभी आपको जगन्नाथ मंदिर के बारे में पूरी जानकारी अच्छे से प्राप्त हो पाएगी।
Name Of The Temple | Jagannath Temple, Puri |
Built by | King Ananta Varman Chodaganga Deva |
Timings | Monday-Friday(6AM-9PM) |
Architecture | Kalinga Architecture |
Built in which year | 1161 by Indradyumna |
Contact number | 6752222002 |
Official website | www.shreejagannatha.in |
Pin code | 752001 |
Address | Grand Rd, At post, Puri, Odisha |
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Contents
Where is Jagannath Temple | जगन्नाथ मंदिर कहां है?
जगन्नाथ मंदिर भारत देश के ओडिशा राज्य के एक छोटे से शहर पूरी में स्थित है। जगन्नाथ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है पहला शब्द जगत और दूसरा शब्द नाथ। पहले शब्द यानी कि जगत का मतलब दुनिया हुआ और नाथ का मतलब स्वामी। तो जगन्नाथ का मतलब हुआ पूरी दुनिया के स्वामी।
जगन्नाथ मंदिर में श्री कृष्णा की पूजा की जाती है। यानी कि इस मंदिर में श्रीकृष्ण की प्रतिमा है। इस मंदिर को हिंदुओं के चारों धामों में से एक धाम होने का गौरव प्राप्त है। जगन्नाथ मंदिर वैष्णव संप्रदाय का मंदिर है और इस मंदिर में विष्णु अवतार श्री कृष्ण की प्रतिमा है।
Establishment of Jagannath Temple | जगन्नाथ मंदिर की स्थापना
हाल ही में मिली गंग वंश के ताम्रपट से इस बात की पुष्टि हुई कि कलिंग के राज अनन्तवर्मन चोडगंग देव ने इस मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ करवाया था। इस मंदिर का निर्माण कार्य 1078 में ही शुरू हो गया था। लेकिन उसके कुछ दिन बात कलिंग के राजा अनन्तवर्मन चोडगंग देव की मृत्यु हो गई और इस मंदिर का काम आधे पर ही रुक गया।
उसके बाद जब 1190 में ओडिशा के राजा अनंग भीम देव बने ती उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कार्य आगे बढ़ाया और उस मंदिर को वर्तमान स्थिति तक पहुंचाया। ऐसा माना जाता है कि कलिंग के राज अनन्तवर्मन चोडगंग देव ने इस मंदिर कि किसी और तरीके से बनवाने का ऐलान किया था l लेकिन वो इस काम को मही कर पाए। उसके बाद जब ओडिशा के रहा अनंग भीम देव ने 1190 में इस मंदिर के काम को आगे तो बढ़ाया पर इस मंदिर का नक्सा उन्होने अपने तरीके से बना दिया। और इस मंदिर को वर्तमान स्थिति तक पहुंचाया।
Structure of Jagannath Temple? जगन्नाथ मंदिर का ढांचा कैसा है?
जगन्नाथ मंदिर 400,000 square feet में फैला हुआ है। इस मंदिर में कलिंग का स्थापत्य कला और शिल्प कला परिपूर्ण तरीके से सम्मिलित है। यह मंदिर भारत के भव्य मंदिरों में से एक है। जगन्नाथ मंदिर का जो मुख्य मंदिर है वह वक्र रेखिए है और इस मंदिर के शीर्ष पर विष्णु भगवान का चक्र बना हुआ है। जिस भी जगह पर विष्णु जी का यह चक्कर रहता है उस जगह को पावन माना जाता है और वह जगह पवित्र हो जाता है।
इस मंदिर की पूरी ढांचा को 65 meters square के एक पाषाण युग के पत्थर के चबूतरे पर बनाया गया है। जगन्नाथ मंदिर में कई गर्भगृह हैं और उन गर्भगृह में कई मुख्य देवताओं की प्रतिमा बनाई हुई है। यह मंदिर चारों तरफ से पत्थरों की दीवार से घिरा हुआ है ताकि यह मंदिर भविष्य में हमेशा सुरक्षित रहे। इस मंदिर का छत पिरामिड के आकार का है जो देखने में और भी ज्यादा सुंदर और आकर्षक लगता है।
Jagannath Temple History | जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी क्या कथा है?
जगन्नाथ मंदिर के पीछे एक बहुत ही मजेदार कथा है। पुराणों के मुताबिक एक पेड़ के नीचे एक मूर्ति रखी हुई थी जिस मूर्ति को वहां के लोगों ने जमीन में गाड़ दिया था। ऐसा करने के लिए वहां के लोगों को वहां के राजा ने आदेश दिया था। अब राजा के सपने में रोज वही मूर्ति आया करती थी और उनसे कहा करती थी कि वह उसे आजाद कराएं।
इस स्वपन से परेशान होकर राजा ने कई सालों तक तपस्या करके विष्णु जी को प्रसन किया और विष्णु जी राजा के सामने प्रकट हुए। जब राजा ने भगवान विष्णु से इस समस्या का हल मांगा तो उन्होंने कहा कि हे राजन आप पुरी के समुद्र तट पर जाइए वहां पर आपको एक लकड़ी का लट्ठा मिलेगा आप उस लकड़ी के लट्ठे के माध्यम से उसी मूर्ति के जैसा एक और मूर्ति बनवाईए।
भगवान विष्णु के कहे अनुसार राजा पुरी के समुद्र तट पर गए और उन्हें वहां एक लकड़ी का लट्ठा मिला। वह अभी लकड़ी के लट्ठे को उठाने ही वाले थे कि इससे पहले उनके सामने दो बुजुर्ग खड़े हो गए जिनमें एक कारीगर और दूसरा मूर्तिकार था। दरअसल वह दोनों बुजुर्ग विष्णु और ब्रह्मा थे। उन्होंने राजा से यह शर्त रखी कि वह इस मूर्ति को सिर्फ 1 महीने में बना देंगे लेकिन उनको एक महीने तक एक कमरे में बंद रखना होगा और 1 महीने तक उस कमरे में कोई नहीं जाएगा। राजा इस शर्त को मान लीए।
पूरे 1 महीने तक उस कमरे से एक भी आवाज सुनाई नहीं दी तो जब एक महीना खत्म हुआ उसके बाद राजा बहुत ही उत्सुकता से उस कमरे को खोलें। जब उन्होंने कमरे को खोला तो देखा कि वह मूर्ति अधूरी है। तब दोनों बुजुर्ग ने कहा कि यह मूर्ति इतनी ही बन सकती है आप इस मूर्ति को जाकर स्थापित कर दीजिए इस मूर्ति की पूजा ऐसे ही की जाएगी।
निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से जगन्नाथ मंदिर के बारे में पूरी जानकारी दी जैसे कि जगन्नाथ मंदिर कहां है, इसकी स्थापना कब हुई थी और किसने कराई थी, इस मंदिर का ढांचा कैसा है, जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी क्या कथा है?
तो उम्मीद करते हैं कि आपको जगन्नाथ मंदिर के बारे में सारी जानकारी मिल गई होगी। अगर आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ साथ अपने सोशल मीडिया पर भी शेयर करें ताकि आप से जुड़े सभी व्यक्तियों को जगन्नाथ मंदिर के बारे में पता चल जाए।
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